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25 सितंबर 2010
बीएड की पढ़ाई नहीं हो सकी शुरू
भागलपुर में घंटाघर चौक के पास स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में 18 साल बाद भी बीएड की पढ़ाई पुन: शुरू नहीं की जा सकी। 1992 में बीएड घोटाले का जिन्न बाहर आने के बाद सरकार ने इस महाविद्यालय में बीएड व एमएड की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया था। आलम यह है कि महाविद्यालय पोस्ट ऑफिस बन कर गया है। विभागीय पत्रों के निबटारे के अलावा यहां और कोई भी कार्य नहीं होता है। वर्ष 1954 में भागलपुर में बीएड व एमएड की पढ़ाई के लिए इस कॉलेज की स्थापना की गई थी। कॉलेज परिसर में ही अभ्यर्थियों के लिए बीस कमरे का छात्रावास था। चार साल से जिला प्रशासन के आदेश से इस छात्रावास में उच्च विद्यालय कंपनीबाग का आवासीय विद्यालय चल रहा है। इस कॉलेज में कुल सात प्राध्यापक हुआ करते थे। फिलहाल यहां दो लिपिक श्याम सुंदर चक्रवर्ती व सहायक लिपिक संतोष कुमार सुमन पदस्थापित हैं। 5.6 हेक्टेयर में अवस्थित यह कॉलेज परिसर फिलहाल असमाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। खगडि़या की जिला शिक्षा पदाधिकारी रीना कुमारी वर्तमान में कॉलेज की प्राचार्य की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। बीएड घोटाला होने के बाद सरकार ने ऐसे कॉलेजों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद भुवनेश्र्वर से मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया। प्राचार्या रीना कुमारी के प्रयास से पिछले साल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की एक टीम ने कॉलेज की मान्यता पर मुहर लगाने के लिए यहां का जायजा लिया था। टीम ने कॉलेज को बीएड व एमएड की पढ़ाई के लिए उपयुक्त मानते हुए शिक्षकों की कमी को दूर करने का निर्देश दिया था। टीम के निर्देशानुसार यहां कुछ प्राध्यापकों को पदस्थापित भी किया गया। लेकिन साल भर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब मान्यता संबंधी कोई जवाब भुवनेश्र्वर से नहीं आया तो पदस्थापित प्राध्यापकों को मुजफ्फरपुर स्थित शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में पदस्थापित कर दिया गया। क्या कहती हैं प्राचार्या भागलपुर : शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्या रीना कुमारी का कहना है कि बीएड की पढ़ाई के लिए यह कॉलेज पूरी तरह उपयुक्त है। इसके उन्होंने प्रयास भी किया। लेकिन एनसीईटी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन बोर्ड भुवनेश्र्वर द्वारा अब तक इसे मान्यता नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि एनसीईटी की जांच रिपोर्ट मानव संसाधन विकास विभाग को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय को असमाजिक तत्वों का चारागाह बनने से रोकने व यहां गलत तत्वों के घुसने पर पाबंदी को लेकर उन्होंने अपने स्तर से डीएम को पत्र लिख कर इससे अवगत करा दिया है।
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